Tuesday, October 22, 2024
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डी.ए.वी.स्कूल  गांधी नगर में मनाई गई भगवान परशुराम और महाराणा प्रताप की जयंती

डी.ए.वी.स्कूल  गांधी नगर में मनाई गई भगवान परशुराम और महाराणा प्रताप की जयंती

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़  ) :  डीएवी विद्यालय गांधी नगर में वंदे मातरम भूमी वंदे जग जननी बंदे इस गीत को गाते हुए नरेश ने सभा का प्रारंभ किया विद्यालय में श्री गुरुदेव रविंद्रनाथ ठाकुर , महाराणा प्रताप , और भगवान परशुराम जी की  जयंती मनाई गई  | आशुतोष  द्वारा मंच संचालन करते हुए सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन तथा सरस्वती वंदन हेतु सतीश शर्मा,लोकेश देव शर्मा, दीपक गाबा,, आचार्य अनमोल को आमंत्रित किया गया । तत्पश्चात मंचासीन मुख्य अतिथि  दीपक गाबा ( जिला महामंत्री भाजपा) का स्वागत प्रधानाचार्य  के मुरली  द्वारा तथा आचार्य अनमोल  का स्वागत विद्यालय के प्रबंधक  लोकेश देव  द्वारा तथा  लोकेश देव  का स्वागत ओपी यादव  द्वारा अंग वस्त्र भेंट कर तथा अमित पात्रा  का स्वागत  सतीश शर्मा  द्वारा अंग वस्त्र भेट कर किया गया।  दीपक गाबा  ने अपने उद्बोधन में रवींद्रनाथ ठाकुर  के बारे में बताते हुए कहा वह एक दार्शनिक लेखक तथा महान कवि थे ।

आज उनकी 163 वीं जयंती मनाई जा रही है उन्होंने उनके जीवन परिचय के साथ-साथ उनकी उपलब्धियों के बारे में भी छात्रों को बताया ।वह पहले भारतीय थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था। छात्रों को उनसे प्रेरणा लेने का संदेश दिया तथा साथ ही शिक्षकों तथा छात्रों को समाज के कल्याण के लिए उचित मतदान हेतु भी तत्पर रहे। देश को विश्व गुरु बनाने मे सहयोग दें। आचार्य सतीश शर्मा ने महाराणा प्रताप के जीवन की घटनाएं सुनाई, अनमोल द्वारा अपने 35 वर्ष  शिक्षक के अनुभव को साझा करते हुए भगवान परशुराम जी के विषय में अपने वक्तव्य का प्रारंभ इन पंक्ति से किया (वतन की हालत जो बताने लगेंगे, तो पत्थर भी आंसू बहाने लगेंगे, कहीं भीड़ में खो गई इंसानियत उसे ढूंढने में जमाने लगेंगे ।वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को उनका जन्म हुआ था उनके परिवार का परिचय देते हुए उनके जन्म के समय उनका नाम राम रखा गया था तथा उन्होंने नारी सम्मान के लिए , कर्मवीर स्वभाव पराक्रमी और निर्भीकता और जातिवाद से ऊपर उठकर समाज के लिए उन्होंने शस्त्र उठाए और जनकल्याण के लिए कार्य किया।

मंजिल उन्हें नहीं मिलती जो किस्मत के सहारे हैं प्यासे वह भी रह जाते हैं जो दरिया के किनारे हैं मंजिल उन्हें ही मिलती है जिनमें जान होती है पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है विभिन्न छोटी-छोटी कहानी रोचक प्रसंग द्वारा छात्रों को उत्साह वर्धन करते हुए मार्ग प्रशस्त किया विद्यालय प्रबंधक लोकेश देव  ने महाराणा प्रताप  के अदम्य साहस मातृभूमि के प्रति प्रेम तथा अन्य विभूतियों पर अपने विचार रखते हुए सभी मंचस्त सदस्यों का अभिवादन करते हुए तथा  अनमोल  का आभार व्यक्त करते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर भी अपने विचार रखा।छात्रों को बताया विद्या धन और शक्ति का सही प्रयोग करना चाहिए आज का कार्यक्रम राष्ट्र राष्ट्रीय और समाज को समर्पित है उन्होंने रविंद्र नाथ  की साहित्य संगीत और कल तीनों गुना के निपुणता के विषय में छात्रों को बताया भगवान परशुराम के संकल्प नारी का सम्मान न करने वाले तथा किसी जाति विशेष नहीं अपितु अन्य के विरुद्ध राक्षसों का नाश करने का संकल्प इससे भी अवगत कराया महाराणा प्रताप के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा मां भारती की स्वर्णिम माटी हम है चंदन माटी हमारी पूजा माटी हमारा पूजन वे धन्य है जो जन्मे इस पावन धरा पर सुख दाहिनी धरा पर वरदानी धरा पर उन्होंने जीवन भर राष्ट्रवाद और मानवता की रक्षा की उनकी वीरता तथा संघर्ष के बारे में भी छात्रों को परिचित कराया उनके बलिदान के लिए नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की तथा सभी को शुभकामनाएं तथा धन्यवाद किया।

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