Thursday, November 21, 2024
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बैंक की छोड़ी नौकरी, जेबखर्च के लिए गर्लफ्रेंड से लिए पैसे, फिर ऐसे बना बॉलीवुड का मोस्टर टैलेंटेड एक्टर

बैंक की छोड़ी नौकरी, जेबखर्च के लिए गर्लफ्रेंड से लिए पैसे, फिर ऐसे बना बॉलीवुड का मोस्टर टैलेंटेड एक्टर

बॉलीवुड के इस दिग्गज अभिनेता ने अपने करियर में तमाम तरह के किरदार निभाए और खूब वाहवाही बटोरी. हालांकि कभी इस एक्टर को अपनी जेबखर्च के लिए गर्लफ्रेंड से पैसे लेने पड़ते थे.

बॉलीवुड के इस दिग्गज एक्टर ने हर रोल में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया है. फिर विलेन का किरदार हो या कॉमिक रोल या फिर इमोशनल कर देने वाला सीन इस एक्टर हमेशा दर्शकों का दिल जीता है. इस अभिनेता की खास बात ये है कि ये खुद को किसी खास जॉनर में बंधने नहीं देते हैं और रिस्क लेने से जरा भी परहेज नहीं करते हैं. नेशनल अवॉर्ड विनिंग इस दिग्गज एक्टर ने अपने अब तक के करियर में 240 से ज्यादा फिलमें की हैं. लेकिन एक वक्त वो भी था जब ये अपनी गर्लफ्रेंड से पैसे लेकर अपना गुजारा करते थे. लेकिन आज ये शोहरत की बुलंदी पर हैं.

जी हां ये दिग्गज अभिनेता कोई और नहीं बॉलीवुड के मोस्ट टैलेंटेड एक्टर परेश रावल हैं. 30 मई 1955 को एक गुजराती मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में परेश रावल की परवरिश बॉम्बे (मुंबई) में हई थी. परेश नरसी मोनजी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, विले पार्ले, मुंबई के पूर्व छात्र हैं. कॉलेज के फौरन बाद परेश ने नौकरी सर्च करना शुरू कर दिया था.

खर्चा चलाने के लिए गर्लफ्रेंड से लेते थे पैसे

‘द अनुपम खेर शो’ में परेश ने खुलासा किया था कि उनकी फैमिली में पॉकेट मनी का कॉन्सेप्ट नहीं था. इसीलिए उन्होंने एक बैंक में नौकरी करने का फैसला किया. परेश को बैंक ऑफ बड़ौदा में 1.5 महीने के लिए नौकरी मिल गई. हालांकि, परेश ने तीन दिन में ही नौकरी छोड़ दी थी. दरअसल वह वर्कप्लेस पर खुद को फिट नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में सर्वाइव करन के लिए परेश उस समय अपनी गर्लफ्रेंड और एक्ट्रेस और मिस इंडिया 1979 की विनर स्वरूप संपत से पैसे लिया करते थे. बाद में, उन्होंने स्वरूप से 1987 में शादी कर ली थी. कपल के दो बेटे आदित्य और अनिरुद्ध हैं.

करियर की शुरुआत में विलेन के किरदार निभाए

परेश ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत गुजराती फ़िल्म, ‘नसीब नी बलिहारी’ (1982) से की थी. उनकी पहली हिंदी फिल्म आमिर खान-मीरा नायर की होली (1984) थी. सनी देओल की फिल्म अर्जुन (1985) में काम करने के बाद परेश को पहचान मिलनी शुरू हो गई. इसके बाद परेश ने संजय दत्त की फिल्म नाम (1986) में विलेन की भूमिका में खूब सुर्खियां बटोरी थी. अगले कुछ सालों में, परेश ने डकैत, कब्ज़ा, राम लखन, स्वर्ग, ज़ुल्म की हुकुमत और दामिनी जैसी फिल्मों में मेन खलनायक, ग्रे-शेड किरदार या खलनायक के साइड-किक की भूमिका निभाना जारी रखा. इसके बाद परेशन ने विलेन के किरदार से बाहर निकलने का फैसला किया था.

परेश रावल ने कॉमेडी में भी धमाल मचाया

विलेन के तमाम किरदार निभाने के बाद 1994 में, परेश ने ‘अंदाज़ अपना अपना’ में डबल रोल प्ले किया जिसमें एक नासमझ विलेन श्याम बजाज उर्फ तेजा भी शामिल था. हालांकि ‘अंदाज़ अपना-अपना’ पैसा कमाने वाली फिल्म नहीं थी, लेकिन परेश की परफॉर्मेंस की काफी तारीफ हुई और इससे उनके करियर को नई उड़ान मिली. कॉमेडी साइडकिक के रूप में उन्होने कई फिल्में की जिनमें मोहरा, हीरो नंबर 1, जुदाई, मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी और कई अन्य हिट शामिल हैं. इस फेज के दौरान, उन्होंने महेश भट्ट की तमन्ना में एक किन्नर की भूमिका निभाई, और गुप्त: द हिडन ट्रुथ में एक ग्रे-शेड किरदार भी निभाया.

परेश रावल के ये सबसे आइकॉनिक रोल

साल 2000 में, परेश रावल ने प्रियदर्शन की ‘हेरा फेरी’ में एक महाराष्ट्रीयन गैराज मालिक, बाबूराव गणपतराव आप्टे की भूमिका निभाई थी. बाबूराव के उनके किरदार ने उन्हें खूब पॉपुलैरिटी दिलाई, और उन्होंने अपनी इस भूमिका के लिए कई पुरस्कार भी जीते. इसके बाद उन्होंने फिर हेरा फेरी (2006) में इस किरदार को दोहराया, और वह हेरा फेरी 3 में भी इस किरदार को दोहराते नजर आएंगें. परेश और प्रियदर्शन के बीच अच्छा तालमेल रहा और उन्होंने कई कॉमेडी हिट फिल्में दीं. उन्होंने सोशल कॉमेडी ‘ओएमजी: ओह माय गॉड’ में भी काम किया और ‘टेबल नंबर 21’ में ग्रे-शेड किरदार निभाया. परेश की अपकमिंग फिल्मों में अब ‘सोरारई पोटरू’ की हिंदी रीमेक- ‘सरफिरा’ और ‘वेलकम टू द जंगल’ (वेलकम 3) शामिल हैं.

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